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ईरान: विरोध प्रदर्शनों में बच्चों की मौतों व उन्हें बन्दी बनाये

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने ईरान में पिछले एक महीने से जारी विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाई में बच्चों की मौत होने और उन्हें हिरासत में लिये जाने के मामलों पर गहरी चिन्ता जताई है.

मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने मंगलवार को जिनीवा में बताया कि कुछ स्रोतों के अनुसार, अब तक 23 बच्चों की मौत होने और अनेक अन्य के घायल होने की जानकारी मिली है.

ईरान के कम से कम सात प्रान्तों में हुई इन घटनाओं में सुरक्षा बलों द्वारा कारतूसों, नज़दीक से दागी गई धातु की गोलियों और और प्रदर्शनकारियों की बुरी तरह पिटाई किये जाने की ख़बरें हैं.

कई स्कूलों में छापेमारी के बाद बच्चों को गिरफ़्तार किया गया है. सुरक्षा बलों के साथ सहयोग नहीं करने के आरोप में कुछ प्रधानाचार्यों को भी कथित तौर पर हिरासत में लिया गया है.

इससे पहले, ईरान के शिक्षा मंत्री ने 11 अक्टूबर को पुष्टि की थी कि तथाकथित देश-विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के कारण गिरफ़्तार किए जाने के बाद, कुछ बच्चों को “मनोवैज्ञानिक केन्द्रों” में भी भेजा गया था.

https://twitter.com/UNHumanRights/status/1582333170103427073?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1582333170103427073%7Ctwgr%5Eb3e18d6d36808736b717593ca1be4f87ccb78480%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fnews.un.org%2Fhi%2Fstory%2F2022%2F10%2F1063627

ईरान से कर्नाटक तक: हिजाब या महिलाओं की पसंद का है मामला? – BBC

ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद पिछले नौ दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी है. ये कहा जाए कि पूरा ईरान सड़कों पर है तो ग़लत नहीं होगा. 80 से ज़्यादा शहरों से विरोध प्रदर्शन की ख़बरें आ रहीं हैं. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पों में कम से कम 35 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक विरोधी गिरफ़्तार कर लिए गए हैं.

एक अमेरिकी संस्था के मुताबिक़ सोमवार से अब तक क़रीब 11 पत्रकारों को भी हिरासत में लिया गया है.

देश के कई इलाक़ों में इंटरनेट सेवाएं या तो धीमी कर दी गईं हैं या पूरी तरह बंद हैं.

22 साल की महसा अमीनी की शुक्रवार (16 सितंबर) को मौत हो गई. उससे पहले वो तीन दिनों तक तेहरान के एक अस्पताल में कोमा में थीं.

13 सितंबर को उन्हें पुलिस ने इसलिए हिरासत में ले लिया था क्योंकि पुलिस के अनुसार उन्होंने अपने सिर पर हिजाब को ‘सही’ तरीक़े से नहीं पहना था.

एलनाज़ रेकाबी पहुंचीं ईरान, हुआ ज़बर्दस्त स्वागत

हिजाब के बिना एशियन क्लाइंबिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली ईरान की महिला एथलीट एलनाज़ रेकाबी जब देश में हवाई अड्डे पर पहुंचीं तो लोगों ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया.

तालियों की गड़गड़हाट और नारों के बीच उनकी गाड़ी लोगों की भीड़ से होकर गुज़री.

33 साल की एलनाज़ रेकाबी ने पहनावे से जुड़े ईरान के सख़्त नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना हिजाब दक्षिण कोरिया में हुई क्लाइंबिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था.

हालांकि, बाद में रेकाबी ने कहा कि उनका हिजाब ‘ग़लती’ से गिर गया था. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट और हवाई अड्डे पर एक टीवी इंटरव्यू में हिजाब ना पहनने का यही कारण बताया.

लेकिन उनकी इस सफ़ाई पर कई लोग सवाल भी उठा रहे हैं और ये भी कहा जा रहा है कि एलनाज़ रेकाबी ने दबाव में आकर ये बयान दिया है.

हिजाब के बिना इवेंट में उतरी ईरान की महिला एथलीट को लेकर बढ़ी चि

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट्स क्लाइंबिग प्रतियोगिता में ऊंचाई पर चढ़ने वाले इवेंट में बिना हिजाब के शामिल होने वाली ईरान की एक महिला एथलीट मंगलवार को दक्षिण कोरिया से रवाना हो गई. फ़ारसी भाषा के मीडिया ने कहा कि हो सकता है कि उसे ईरानी अधिकारियों ने देश के लिए जल्द रवाना होने को मजबूर किया हो और वापसी पर उसे गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है. तेहरान ने मीडिया की इस बात का खंडन किया है.

कई प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाली एल्नाज रेकाबी ने ऐसे समय हिजाब नहीं पहना, जब ईरान में 22 वर्षीय महसा अमीनी की नैतिकता पुलिस की हिरासत में मौत के बाद भड़का हिजाब विरोधी प्रदर्शन पांचवें सप्ताह में प्रवेश कर गया है. ईरान में हिजाब के विरोध में भड़का प्रदर्शन 100 से अधिक शहरों में फैल चुका है, जिसमें पुलिस के बल प्रयोग के बावजूद स्कूली बच्चे, तेलकर्मी और अन्य लोग भी बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं.

ईरान में आई एक और क्रांति! एक के बाद एक महिलाओं ने आग के हवाले क

ईरान में एक बार फिर वही स्थिति देखने को मिल रही है, जो इससे पहले साल 1979 में देखने को मिली थी। जिसे इस्लामिक क्रांति के नाम से जाना जाता है। इस क्रांति ने सबकुछ बदलकर रख दिया था। इस समय ईरान में हिजाब का भारी विरोध हो रहा है। राजधानी तेहरान समेत कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। महिलाएं हिजाब में आग लगा रही हैं और विरोध दर्ज कराने के लिए अपने बाल तक काट रही हैं। इन प्रदर्शनों में पुरुष भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर इन प्रदर्शनों के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। जिनमें लोग देश के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामनेई के खिलाफ नारे लगा रहे हैं। देश में लोकतांत्रित व्यवस्था होने के बावजूद सभी फैसले खामनेई ही लेते हैं।

ईरान में विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं के समर्थन में नोएडा की मह

नोएडा. उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर 15ए की रहने वाली एक 50 वर्षीय महिला ने ईरान में महिला प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने के लिए अपने बाल काट लिए हैं. पेशे से सामाजिक-सांस्कृतिक मानवविज्ञानी डॉ. अनुपमा भारद्वाज ने 6 अक्टूबर को शाम 7.30 बजे अपने बाल काटे. 16 सितंबर को तेहरान में 22 वर्षीय महसा अमिनी की हिरासत में हुई मौत के बाद से ईरान और अन्य देशों में कई विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं. डॉ. अनुपमा भारद्वाज ने कहा कि मैं अपने नपुंसक क्रोध से उबल रही थी और कांप रही थी. इसलिए मैंने अपना बाल काटते हुए अपना एक वीडियो फेसबुक पर अपलोड किया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मताबिक डॉ. अनुपमा ने कहा कि हालांकि ईरान में हो रहे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बारे में लोगों को पता नहीं था. उन्होंने मुझे मैसेज कर पूछा कि ‘क्या मैं डिप्रेशन में हूं या क्या बात है. मैंने फैसला किया है कि मैं अपने बालों को तब तक ऐसे ही रखूंगी जब तक ईरान में महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया जाता.’ अनुपमा ने कहा कि शुक्रवार को उन्होंने ईरान दूतावास के सामने भी विरोध किया था, लेकिन उन्हें वहां से हटा दिया गया. वह सोमवार को ईरान दूतावास को एक ज्ञापन सौंपने की भी योजना बना रही हैं.

ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन 15 शहरों में फैला: अब तक 31 की मौ

ईरान में 16 सितंबर से शुरू हुआ हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। महिलाओं के साथ पुरुष भी प्रदर्शन में शामिल है। अब ये 15 शहरों में फैल गया है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें भी हो रही हैं। आंदोलन कर रहे लोगों को रोकने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाईं। गुरुवार को फायरिंग में 3 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई। 5 दिन में मरने वालों की तादाद 31 हो गई है। सैकड़ों लोग घायल हैं।

1000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सरकार की मॉरल पुलिसिंग के खिलाफ युवाओं ने गरशाद नाम का मोबाइल ऐप बना लिया है। इस ऐप को 5 दिन में 10 लाख लोगों ने डाउनलोड किया है। युवा इसके जरिए सीक्रेट मैसेज चला रहे हैं। इसे देखते हुए तेहरान में मोबाइल इंटरनेट बंद और इंस्टाग्राम को ब्लॉक कर दिया गया है।

ईरानी महिलाओं के समर्थन में इस बॉलीवुड हसीना ने उतार दिए कपड़े,

नेटफ्लिक्स की पॉपुलर सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ में अपने काम के लिए तारीफें लूटने वाली ईरानी मूल की अभिनेत्री एलनाज़ नोरोज़ी (Elnaaz Norouzi) ईरान की “मोरल पुलिस” के खिलाफ महिलाओं के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गई हैं. वह ईरानी महिलाओं का समर्थन कर रही हैं. उनका कहना है कि महिलाएं अपनी मर्जी के मुताबिक कुछ भी रहनने के लिए स्वतंत्र हैं.

एक्ट्रेस ने वीडियो किया शेयर
एलनाज नोरोज़ी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया है. वीडियो में वह कपड़े की कई परतें उतारकर विरोध प्रदर्शन में शामिल होती दिखाई दे रही हैं. वीडियो शेयर करके वह लोगों को बताना चाहती हैं कि महिलाएं क्या पहनना चाहती हैं और क्या नहीं. कोई भी उन्हें रोक नहीं सकता है. उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘दुनिया में हर महिला कहीं भी अपनी इच्छानुसार कपड़े पहनने का अधिकार रखती है. किसी भी पुरुष या किसी अन्य महिला को उसे जज करने या उससे कुछ भी पूछने का अधिकार नहीं है.’

ʼमहिलाएं बाल काटकर ईरानी सरकार के विरोध में एकजुट हो रही हैं’

ईरान में चल रहे हिजाब विवाद पर अब एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला (Urvashi Rautela) ने भी अपनी आवाज उठाई है. हाल ही में ईरानी महिलाओं के समर्थन में अपने बाल कटवाते हुए उर्वशी ने अपने इंस्टा अकाउंट पर तस्वीरें शेयर की थी.

पोस्ट को शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने लिखा, ‘ईरानी महिलाओं और उन लड़कियों के सपोर्ट में अपने बाल कटवा रही हूं जिनकी ईरानी मोरल पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद महसा अमीनी के निधन के किए जा रहे प्रोटेस्ट में हत्या कर दी गई. इसके साथ ही उत्तराखंड की 19 वर्षीय लड़की अंकिता भंडारी के लिए.. महिलाओं का सम्मान कीजिए, यह महिलाओं के आंदोलन का एक वैश्विक प्रतीक है.’

उर्वशी ने आगे लिखा, ‘महसा अमिनी की मौत के विरोध में मारे गए ईरानी महिलाओं और लड़कियों के समर्थन में दुनिया भर की महिलाएं अपने बाल काटकर ईरानी सरकार के विरोध में एकजुट हो रही हैं’. क्योंकि अब यह आम मुद्दा नहीं रहा एक विश्व क्रांति बन चुका है.’

उन्होंने कहा कि ‘बालों को महिलाओं की खूबसूरती का प्रतीक माना जाता है. सार्वजनिक रूप से बाल काटकर, महिलाएं दिखा रही हैं कि उन्हें समाज के सौंदर्य मानकों की परवाह नहीं है और वे किसी भी चीज, या किसी को भी यह तय नहीं करने देंगी कि वो कैसे कपड़े पहनें, या कैसा व्यवहार करें. जब महिलाएं एक साथ आती हैं और एक महिला के मुद्दे को पूरी नारी जाति का मुद्दा मानती हैं. अब फेमिनिज्म में एक नया जोश दिखेगा.’

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